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contest – क्या हिंदी सम्मानजनक भाषा के रूप में मुख्य धारा में लायी जा सकती है ? अगर हाँ , तो किस प्रकार ? अगर नहीं , तो क्यों नहीं ?

Voice of heart...........
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हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हमारे ही राष्ट्र में पिछड़ती जा रही है , आखिर क्यों ?
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क्या व्यवसायिक जगत की सहयोग प्राप्त नही हो पा रहा है ?
क्या सरकारी सहयोग प्राप्त नही हो पा रहा है ?
क्या हिंदी का प्रयोग करने वालों को आउटडेटेड समझा जाता है ?
आखिर कितने राज्यों में हिंदी का प्रयोग किया जाता है..?
क्या विद्यालयों में हिंदी भाषा सिखाई जा रही है…?
आखिर क्यों हिंदी भारत में पिछड़ती जा रही है……?

लेकिन इससे बड़ा प्रशन बनता है की क्या हिंदी सम्मानजनक भाषा के रूप में मुख्य धारा में लायी जा सकती है ?
हाँ क्यों नही , हिंदी को हम उसका सम्मान वापिस दिला सकते है , जरुरत है तो कुछ परिवर्तनों की और कुछ सहयोग की I
आखिर कहाँ जरुरत है परिवर्तनों की और किस किस के सहयोग की, आइये जानते है इस ब्लॉग के द्वारा ….

१. व्यावसायिक जगत की सहायता :- व्यावसायिक जगत में … चीन में चीन की भाषा , जापान में जापान की भाषा , अमेरिका में अंग्रेजी बोली जाती है, तो भारत में हिंदी क्यों नही बोल सकते ? आज की तारीख में भारत के व्यावसायिक जगत में अंग्रेजी को इतना महत्व दिया जाता है की वहां से हिंदी विलुप्त सी होती जा रही है I अगर किसी व्यक्ति में प्रतिभा है और उसका अंग्रेजी में प्रवाह नही है तो उसे व्यावसायिक जगत में कोई जगह प्राप्त नही होती ..आखिर क्यों ? क्या अंग्रेजी का महत्व प्रतिभा से ज्यादा है..? हमको चाहिए की व्यावसायिक जगत में हिंदी को महत्व मिले , कम से कम भारतीय बाज़ार में तो हम हिंदी बोल सकें ई

२.राज्यों में वरीयता :- भारत के अन्दर तीस से ज्यादा राज्य है और अधिकतर राज्यों की अपनी अलग भाषा है, लेकिन जब हम किसी और राज्य में जाते है तो एक अजीब सा महसूस करते है क्युकि हम उस राज्य की भाषा से अज्ञान होते है I हिंदी को हमारे संविधान में राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा दिया गया है जिससे हमको चाहिए की हर राज्य में अधिकतर व्यक्तियों को हिंदी भाषा की जानकारी होनी चाहिए , जिससे हम अपने देश में अनजान बनकर ना रहा जाएँ I इसके अलावा कुछ असामाजिक तत्व जो हिंदी बोलने पर उपद्रव करते है ( जैसे : महाराष्ट्र में लोगो में मराठी बोलने पर मजबूर करना आदि ) उनके समझाना चाहिए की वो संविधान का सम्मान करे और हिंदी बोलने से लोगो को न रोकें ई

३. हिंदी ब्लॉग्गिंग :- जिस प्रकार दैनिक जागरण ने हिंदी ब्लॉग्गिंग जैसा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है इस विश्वव्यापी बनाना चाहिए और इसको समाज के अन्दर फैलाना चाहिए जिससे लोगों की हिंदी के प्रति रूचि बड़े I हमको चाहिए की हम इस प्रकार के कदमों को महत्व दें और इसमें लोगो को सम्मलित करें I

४. प्रतियोगिताएं :- हमको चाहिए हम देश के अन्दर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं रखें और समाज उसमें बड़ चढ़ कर हिस्सा ले जिससे हिंदी को महत्व मिलें ई

५. सभी विद्यालयों में जरुरी विषय :- हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है इसलिए ये जरुरी है की हिंदी को देश के सभी विद्यालयों में आवश्यक किया जाये और विश्वविद्यालयों में हिंदी विभाग जरुरी किया जाये , जिससे देश में हिंदी के प्रति जागरूकता बड़े I

६. सरकारी सहायता :- आज भारत में सरकारी कार्यों में भी अंग्रेजी ने अपनी जगह ले ली है , जबकि हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी है इसलिए सरकार को चाहिए की कम से कम सरकारी काम काज में हिंदी के प्रयोग बड़े I
राज्य सभा , लोक सभा , विधान सभा आदि सभी में हिंदी का ही प्रयोग हो I

७. भारतीयों द्वारा विदेशो में प्रयोग :- जब अंग्रेज भारत में आते है तो वो अंग्रेजी बोलते है और उनके कारण हमको भी उनसे अंग्रेजी में बात करनी पड़ती है, क्या जब हम विदेश जाते है तब वो हमारी बात समझने के लिए हमसे हिंदी में बात करते है ? जबाब है नही , उधर भी हमको ही अपनी बात समझाने के लिए अंग्रेजी में बात करनी पड़ती है ,ऐसा क्यों ? हमको चाहिए हम विदेशो में हिंदी को प्राथमिकता दें और हिंदी को और व्यापक बनायें I

अगर हम तोडा भी प्रयत्न करें तो हिंदी को सम्मानजनक भाषा के रूप में मुख्य धारा में लायी जा सकती है I

जय हिन्द !!

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